भारत की सबसे लंबी नदी । गंगा | Ganges
February 22, 2024
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Ganga | गंगा | भारत की सबसे लंबी नदी
परिचय
भारत की सबसे लंबी और प्राचीन नदी गंगा है। वहीं ये एक ऐसी नदी है जिसकी अनुमानित लंबाई 2525-2610 किलोमीटर है और पूरे देश में सबसे अधिक दूरी का सफर तय करती है। गंगा नदी का उद्गम स्थान उत्तराखंड राज्य में स्थित है जिसे गौमुख कहा गया है। यहां पर पहाड़ों के बीच से ग्लेशियर के रूप में गंगा की धारा निकलती है।
गौमुख स्थान के बाद उत्तराखंड में एक गंगोत्री नामक स्थान भी है। इसे भी गंगा नदी का उद्गम स्थान कहा गया है। बता दें, हिंदू धाम में गंगोत्री एक तीर्थ स्थान है। यहां से लेकर गंगा नदी बंगाल की खाड़ी तक पहुंचती है। इस बीच कई सारी नदियां भी गंगा नदी से जाकर मिलती है। इसमें यमुना, कोसी, घाघर और भागीरथी आदि नदियाँ शामिल है।
इन राज्यों से होकर निकलती है गंगा नदी
गंगा नदी भारत के कई सारे राज्यों से होकर गुजरती है। इसके अलावा गंगा नदी का धार्मिक महत्व भी है, जिसके कारण ये जिन राज्यों से होकर गुजरती है वह आज भारत में एक तीर्थ स्थान के रूप में है। गंगा नदी जिन राज्यों से होकर गुजरती है उनमें उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल है। इन सभी राज्यों के बाद गंगा नदी बंगाल की खाड़ी तक पहुंचती है। इन सभी राज्यों में उन सभी जगहों पर तीर्थ स्थान बन चुका है जहां पर गंगा नदी का तट है।
गंगा नदी का महत्व
गंगा नदी के पूजा के अतिरिक्त कई सारे महत्व है, जिसमें धार्मिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, पर्यावरणीय महत्व आदि शामिल है। तो आइए इन सभी महत्वों के विषय में विस्तार से चर्चा करते हैं।
आर्थिक महत्व
आर्थिक तंत्र की बात करें तो इसमें गंगा नदी का नाम सबसे पहले आएगा। इस नदी की सिंचाई, खेती, बांधों पर बिजली, जलमार्ग होकर आवागमन, पर्यटन स्थान, व्यापार, मत्स्य पालन, नदी के ऊपर पुलों पर बढ़ता हुआ यातायात आदि। ये सब अर्थ व्यवस्था का सबसे बड़ा स्रोत है।
मत्स्य पालन
आज के समय में मत्स्य पालन तेजी से बढ़ रहा है। वहीं गंगा नदी में सबसे अधिक मत्स्य पालन किया जाता है। इतना ही नहीं, गंगा नदी में हिल्सा मछली की संख्या अधिक है, इसके कारण उत्तर प्रदेश और बिहार में इसकी उपज अधिक होती है और यह आर्थिक विकास का सबसे बड़ा कारण है।
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कृषि महत्व
गंगा नदी के कारण सरसों, मिर्च, धान, गन्ना, तिल, आलू और जूट आदि का फसल काफी बेहतर ढंग से होता है क्योंकि गंगा नदी के आस-पास का क्षेत्र दलदल से भरा हुआ है। इसके कारण इन फसलों की खेती इन जगहों को अच्छे से होती है।
आर्थिक और ऐतिहासिक महत्व
हिंदू धर्म में गंगा नदी की पूजा की जाती है और इसका एक अलग महत्व है। अगर इसे ऐतिहासिक दृष्टिकोण से देखें तो ये आय का भी सबसे बड़ा कारण है। जिन-जिन जगहों पर गंगा नदी का संगम है उन सभी जगहों पर धार्मिक स्थान बन चुका है। इसके कारण भारत के कई सारे जगहें गंगा के कारण पर्यटन स्थल बन चुके हैं और ये राष्ट्रीय आय में सबसे बड़ा योगदान है। इसमें भारत में जो तीन बड़े तीर्थ स्थान हैं उसमें हरिद्वार, प्रयागराज और काशी है। इन सभी जगहों पर गंगा का संगम और यह भारत को आर्थिक सहायता देने में बेहद अहम भूमिका निभाता है।
पर्यावरणीय महत्व
पर्यावरण की दृष्टि से देखें तो गंगा नदी का पर्यावरणीय महत्व सबसे अहम है। आज के समय में गंगा नदी की मदद से लाखों लोग जल ग्रहण करते हैं। ये नदी पेयजल का सबसे महत्वपूर्ण साधन है। जब जब देश में जल संकट जैसी स्थिति उत्पन्न हुई है तब तब गंगा नदी मुख्य साधन के रूप में मौजूद है। इसी लिए गंगा नदी को स्वच्छ रखने के लिए सरकार के द्वारा कई सारी योजनाएं चलाई जाती है। इसमें सबसे प्रमुख योजना "नमामि गंगे" है।
गंगा नदी का भूगोल
प्रादेशिक विस्तार
गंगा नदी सबसे पुरानी और प्राचीन नदी है। इसके भूगोलिक विवरण में सबसे पहला स्थान प्रादेशिक विस्तार का आता है। आपको बता दें, नदी का उद्गम स्थान उत्तराखंड के गौमुख नामक स्थान से है। यहां से गंगा दक्षिण की ओर बहती है। वहीं उत्तर की ओर गंगा नदी का मुख्य क्षेत्र माना गया है। इसके बाद गंगा नदी कई सारे मुख्य शहरों से होकर गुजरती है। इसमें ऋषिकेश, हरिद्वार, मेरठ, पटना, कानपुर, कोलकाता, वाराणसी, प्रयागराज आदि शामिल है। यह सभी प्रमुख शहर हैं जहां से गंगा नदी गुजरती है। वहीं इन शहरों में एक तीर्थ स्थान भी है। इसके अलावा कई सारे अन्य छोटे बड़े शहर हैं जहां के बेहद पास से गंगा नदी बहती है।
प्राकृतिक संसाधनों का स्रोत
गंगा नदी प्रकृति के संसाधनों का एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्रोत है। इस नदी के जल का प्रयोग किसानों के द्वारा खेती और उद्योग के लिए किया जाता है। इसके अलावा इस नदी के जल का प्रयोग अकाल के समय में भी होता है। वहीं धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो गंगा का जल बेहद पवित्र माना गया है। कई धार्मिक स्थलों पर पूजा के लिए गंगा जल का ही इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा हिंदू धर्म शास्त्र में श्राद्ध कर्म के लिए गंगा के तट की मिट्टी (गंगोट) और जल का प्रयोग होता है।
गंगा नदी की सहायक नदियां
भारत में कई सारी नदियां उप-बेसिन यानी सहायक नदियां हैं, जो भारत के अलग-अलग राज्यों में स्थित है। इन सभी नदियों से मिलने के बाद ही गंगा नदी की धारा बेहद प्रभावशाली है। गंगा नदी को समृद्ध बनाने में इन नदियों का उच्च स्थान है।
यमुना नदी
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ये सबसे प्रमुख नदी है जो गंगा नदी को सहायता प्रदान करती है। यमुना नदी उत्तरी भारत के हिमाचल प्रदेश से निकलती है। वहीं यह दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश से गुजरती है। बता दें, यमुना नदी का संगम गंगा नदी से प्रयागराज में होता है। इस स्थान को त्रिवेणी संगम भी कहते हैं। यहाँ पर कुम्भ मेला लगता है, जिसे देखने के लिए लाखों श्रद्धालु आते हैं।
घाघरा नदी
घाघरा नदी उत्तर प्रदेश और बिहार से गुजरती है। वहीं यह नदी मुख्य सहायक नदी में भी शामिल है। यह गंगा में मिल जाती है और गंगा नदी की धारा को तिब्र करती है। घाघरा नदी गंगा नदी में बिहार के छपरा के पास समाहित हो जाती है।
सोन नदी
इस नदी का रंग सोने की तरह है। इसीलिए इसे सोन नदी कहा जाता है। सोन नदी मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के मध्य से बहती है। यहाँ से सोन नदी बहकर पटना आती है और गंगा में मिल जाती है। पटना घाट पर श्रद्धालु स्नान करने जाते हैं।
कोसी नदी
उत्तर बिहार के विकास के लिए कोसी नदी का सर्वोच्च स्थान है। यह नदी गंगा की उतरी शाखा में मिलती है। वहीं कोसी नदी बिहार के कटिहार जिले में गंगा से मिल जाती है।
रामगंगा नदी
यह नदी भारतीय धर्म और विरासत का सबसे अहम हिस्सा है। वहीं रामगंगा नदी उत्तराखंड की सबसे महत्वपूर्ण नदी में से एक है। यह भी गंगा नदी के मुख्य शाखा में मिलती है। रामगंगा नदी मैदानी यात्रा करने के बाद कन्नौज के निकट आकर गंगा में समाहित हो जाती है।
गोमती नदी
गोमती नदी भी गंगा नदी में मिलती है और यह बेहद समृद्ध नदी है। इसके कारण गंगा नदी की धाराएं भी तेज होती है। गोमती नदी उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण नदी में से एक है। वहीं गोमती नदी गाज़ीपुर ज़िला में सैदपुर के समीप गंगा जी में समा जाती है। इस घाट पर लोग गंगा स्नान करने आते हैं।
बेतवा नदी
यह नदी मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के माध्यम से बहती है और गंगा नदी को समृद्ध बनाने में इस नदी की अहम भूमिका है। मगर बेतवा नदी सीधे गंगा में नहीं मिलती है। यह पहले उत्तर प्रदेश के इटावा जिले यमुना में मिलती है। फिर प्रयागराज में आकर गंगा से मिलती है।
सरयू नदी
सरयू नदी का हिंदू धर्म में बहुत उच्च स्थान है। वहीं यह उत्तर प्रदेश की मुख्य नदी में से एक है। यह गंगा नदी की सहायक नदियों में से एक है। जब दोनों नदियों का संगम होता है तो दोनों नदियां समृद्ध बन जाती है। सरयू नदी उत्तरप्रदेश से बहकर बिहार के आरा और छपरा के पास आती है और गंगा में विलीन हो जाती है।
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राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण
- स्थापना तिथि और उद्देश्य: राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (NGRBA) की स्थापना केंद्र सरकार द्वारा 20 फरवरी, 2009 को की गई, जिसका मुख्य उद्देश्य गंगा नदी के प्रबंधन और संरक्षण के साथ-साथ इसके सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक विकास को बढ़ावा देना है।
- पूर्ववर्ती संस्था: इसके गठन से पहले, जून 1985 में केंद्रीय गंगा प्राधिकरण का गठन हुआ था, जिसका उद्देश्य भी गंगा की सफाई और संरक्षण था।
- मुख्य कार्य और योगदान: NGRBA न केवल गंगा को स्वच्छ रखने में बल्कि गंगा नदी के तटों के विकास और नदी के आस-पास के पर्यावरण को बेहतर बनाने में भी मुख्य योगदान देता है।
- नेतृत्व और सदस्यता: NGRBA की अध्यक्षता भारत के प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है, जो इसके महत्व और प्राथमिकता को दर्शाता है। इसके सदस्यों में राज्य एवं केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होते हैं, जिनकी भूमिका गंगा के संरक्षण और प्रबंधन में नीति निर्धारण और क्रियान्वयन में होती है।
NGRBA की मुख्य जिम्मेदारियां
- बायो-डायवर्सिटी की संरक्षण: गंगा नदी और इसके आस-पास की बायो डायवर्सिटी की सुरक्षा और संरक्षण NGRBA की जिम्मेदारी है। यह नदी में रहने वाले जीवों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करता है।
- प्रदूषण नियंत्रण: NGRBA का एक महत्वपूर्ण कार्य है गंगा में प्रदूषण को कम करना और इसे फैलने से रोकना। चूंकि गंगा का पानी पीने के लिए इस्तेमाल होता है, इसलिए इसकी सफाई प्राथमिकता है।
- जल संसाधन का प्रबंधन: NGRBA का उद्देश्य है जल को सभी के लिए उपलब्ध कराना। इसमें जल संसाधनों की देखरेख और प्रबंधन शामिल है।
- सामुदायिक संबंध: गंगा के प्रबंधन में समुदाय की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए NGRBA द्वारा सामुदायिक संबंध विकसित किए जाते हैं।
- तकनीकी और वैज्ञानिक सहायता: गंगा के प्रबंधन को और बेहतर बनाने के लिए नई तकनीकों का विकास और वैज्ञानिक सहायता प्रदान की जाती है।
- जागरूकता और शिक्षा: गंगा की सुरक्षा के लिए लोगों को जागरूक और शिक्षित करना, ताकि वे नदी में प्रदूषण न फैलाएं।
नमामि गंगे परियोजना
परिचय और उद्देश्य: नमामि गंगे परियोजना की शुरुआत भारत सरकार ने गंगा नदी की सफाई और संरक्षण के उद्देश्य से की थी। इस परियोजना का मुख्य लक्ष्य गंगा नदी के पानी को निर्मल और अविरल बनाना है।
इतिहास और विकास: नमामि गंगे परियोजना की शुरुआत मई 2015 में हुई थी, जिसके तहत गंगा नदी और इसकी सहायक नदियों के संरक्षण और पुनर्जीवन के लिए व्यापक उपाय किए जा रहे हैं।
मुख्य कार्यक्रम और योगदान: नमामि गंगे कार्यक्रम नदी की सफाई, घाटों और श्मशानों के विकास, जल प्रदूषण नियंत्रण, और जागरूकता अभियानों पर केंद्रित है।
नेतृत्व और सहयोग: इस परियोजना की निगरानी और क्रियान्वयन केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।
नमामि गंगे की प्रमुख पहलें
- जल प्रदूषण नियंत्रण: सीवेज उपचार संयंत्रों का निर्माण और उन्नयन, जिससे नदी में गिरने वाले प्रदूषित जल को रोका जा सके।
- घाटों और श्मशानों का सौंदर्यीकरण और विकास: घाटों और श्मशानों को स्वच्छ और सुविधाजनक बनाने के लिए उनके पुनर्निर्माण और विकास।
- जैव विविधता संरक्षण: गंगा नदी और इसके आसपास के क्षेत्रों में जैव विविधता के संरक्षण के लिए कार्यक्रम।
- सामुदायिक भागीदारी और जागरूकता: गंगा नदी की महत्वता और संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक बनाने के लिए विभिन्न अभियान और कार्यशालाएं।
- तकनीकी और वैज्ञानिक अनुसंधान: नदी के संरक्षण और प्रबंधन में सुधार के लिए नई तकनीकों और वैज्ञानिक अध्ययनों का समर्थन।
निष्कर्ष
गंगा नदी भारत की सबसे लंबी नदी है एवं इसकी कुछ उपनदियां हैं जो गंगा नदी की लंबाई को बढ़ाती है। आज के समय में गंगा नदी करीब 400 मिलियन लोगों को पानी प्रदान करती है। इसके अलावा नदी के प्रदूषण को लेकर भी कई सारे कामों को किया जा रहा है। वहीं जून 2014 में नमामि गंगे के नाम का एक प्रोजेक्ट शुरू किया गया था। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से गंगा नदी की स्वच्छता का ध्यान रखा जाता है।
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परिचय
इन राज्यों से होकर निकलती है गंगा नदी
गंगा नदी का महत्व
गंगा नदी का भूगोल
गंगा नदी की सहायक नदियां
बेतवा नदी
राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण
नमामि गंगे परियोजना
निष्कर्ष
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