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भारतीय संविधान की प्रस्तावना 

February 26, 2024

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Preamble of India in Hindi

Preamble of India in Hindi

भारत के सभी नागरिकों एवं सरकार के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं। इन सभी नियमों को संविधान के द्वारा लागू किया गया है। वहीं भारतीय संविधान के प्रारंभिक भाग को जिसे परिचय पत्र  कहते हैं उसे संविधान की प्रस्तावना कहा जाता है। बता दें, भारतीय संविधान सभा में संविधान की प्रस्तावना को 1948 में पेश किया गया था। इसके बाद प्रस्तावना को और भी स्पष्ट और बेहतर बनाने के लिए उसमें संशोधनों का काम किया गया था। 

सुधार के बाद फिर से अंतिम बार प्रस्तावना को 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा में पेश किया गया। इसके बाद संशोधन होने के पश्चात उसे 26 जनवरी 1950 को पूरे देश एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लागू किया गया। आपको बता दें, संविधान के प्रस्तावना के दौरान कई सारी चीजों का संशोधन हुआ। वहीं मूल लक्ष्य और सिद्धांतों को भी संशोधित किया गया।

भारतीय संविधान की प्रस्तावना से जुड़ी जानकारियां

भारतीय संविधान की प्रस्तावना पंडित जवाहरलाल नेहरु द्वारा 13 दिसंबर 1946 को संविधान सभा में प्रस्तुत की गई थी। इसमें भारतीय संविधान को किस तरह से तैयार किया जाएगा, उसकी मार्गदर्शिका दी गई थी। इस प्रस्ताव को संविधान सभा द्वारा 22 जनवरी 1947 को स्वीकार किया गया और उसकी प्रस्तावना के नाम से जाना जाता है।

कुछ महत्वपूर्ण बातें

प्रस्तावना के रूप में संविधान का पहचान पत्र: भारतीय संविधान की प्रस्तावना को "संविधान का पहचान पत्र" भी कहा जाता है, जो उसकी मूल धारा को दर्शाता है।

संविधान में संशोधन: संविधान की प्रस्तावना को 42वें संशोधन अधिनियम के द्वारा 1976 में संशोधित किया गया था। इसमें समाजवादी, धर्म निरपेक्ष और अखंडता जैसे शब्द शामिल किए गए।

मौलिक सिद्धांत: संविधान की प्रस्तावना में मौलिक सिद्धांतों को ध्यान में रखा गया है जैसे स्वतंत्रता, समानता, न्याय, धर्मनिरपेक्षता और गणतंत्रता।

आधारभूत अधिकार: संविधान की प्रस्तावना में भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकारों का भी उल्लेख है, जैसे जीवन अदालत में विचाराधीनता, स्वतंत्रता, धर्मनिरपेक्षता आदि।

इस प्रकार, भारतीय संविधान की प्रस्तावना उसकी महत्वपूर्ण विशेषताओं और मौलिक धाराओं को प्रकट करती है, जो भारतीय राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

भारतीय संविधान का विवरण

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भारतीय संविधान एक संपूर्ण विधि निर्माता दस्तावेज है जो भारतीय समाज और सरकार के संघर्षों, मूल्यों, और आदर्शों को निर्धारित करता है। इसमें देश के संविधान के मुख्य अनुच्छेद, संविधान के उद्देश्य, संघ, राज्य, संघीय और राज्य सरकारों के बीच के संबंध, संविधान का पुनरीक्षण और संविधान के संशोधन के तरीके विस्तार से वर्णित किए गए हैं।

संविधान की प्रस्तावना में धर्म निरपेक्षता, सामाजिक और आर्थिक समानता, और गणतंत्र राज्य का उद्देश्य स्पष्ट रूप से उल्लेखित किया गया है। धर्म निरपेक्षता का मतलब है कि सरकार धर्मानुयायी नहीं है और सभी धर्मों के साथ समानता और समर्थन को बनाए रखती है। सामाजिक और आर्थिक समानता का मतलब है कि समाज के सभी वर्गों को न्याय, समानता, और समर्थन के साथ विकास के अवसर प्रदान किए जाएं। गणतंत्र राज्य का अर्थ है कि लोगों का शासन है और राजनीतिक प्रक्रियाओं में उनकी सहभागिता होती है।

इसके अलावा, संविधान में सरकार के सामाजिक, आर्थिक, और नैतिक विकास के लिए नीतियों को निर्धारित करने के लिए भी विवरण शामिल हैं। यह विधि दस्तावेज भारतीय समाज की सामाजिक समस्याओं और उनके हल के लिए महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान करता है, जिससे देश की समृद्धि, समानता, और समरसता सुनिश्चित हो सके।

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भारतीय संविधान प्रस्ताव के कुछ मुख्य उद्देश्य

भारतीय संविधान की प्रस्तावना में कुछ महत्वपूर्ण उद्देश्य शामिल है जिसे अभी विस्तार से जानेंगे। 

संविधान की प्रस्तावना में भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा

भारतीय संविधान का मुख्य उद्देश्य भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना है। इसमें व्यक्ति के अधिकार, स्वतंत्रता, धर्मनिरपेक्षता आदि शामिल है। इसमें व्यक्ति को अपने सभी मौलिक अधिकार मिलेंगे, जिसकी रक्षा संविधान के द्वारा किया जायेगा। 

समाज के लिए बेहतर मूल्यों को नीतियों की स्थापना

भारतीय संविधान का उद्देश्य भारतीय नागरिकों एवं समाज के लिए उच्चतम नीतियों की स्थापना करना है। इसमें समाज की समानता, न्याय, स्वतंत्रता, धर्मनिरपेक्षता आदि शामिल है। इन नीतियों से समाज में धर्म को लेकर आपसी मतभेद नहीं होगा। इसके अलावा भारतीय नागरिकों को अपने कार्य को लेकर पूर्ण रूप से आज़ादी होगी। 

संविधान की प्रस्तावना के कुछ मुख्य घटक 

संविधान की प्रस्तावना उन बातों को दर्शाता है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और समाजवादी राष्ट्र है। यहां के नागरिकों को न्याय, समानता और स्वतंत्रता प्राप्त होता है। वहीं इस देश में सभी धर्म के लोग भाईचारे के साथ मिलजुल कर रहते हैं। इसके अलावा भारत राष्ट्र में लोगों को विचार, विश्वास, आस्था और पूजा की पूर्ण रूप से स्वतंत्रता रहेगी। इसके अलावा उन्हें सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय मिलेगा। 

इसके अलावा व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता पूर्ण रूप से बरकरार रहेगी। यह सभी चीजें भारतीय संविधान की प्रस्तावना के मुख्य घटकों में शामिल है।

भारतीय संविधान की प्रस्तावना (Preamble)

” हम, भारत के लोग,

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भारत को एक

सम्पूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य

बनाने के लिए और

उसके समस्त नागरिकों को

सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय,

विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म व उपासना की स्वतंत्रता,

प्रतिष्ठा और अवसर की समता

प्राप्त कराने के लिए तथा

उन सब में व्यक्ति की गरिमा और

राष्ट्र की एकता तथा अखंडता

सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए

दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज दिनांक 26 नवंबर 1949 ई. ( मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत् दो हजार छह विक्रमी ) को एतद द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं। “

संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित तत्वों का विवरण

संप्रभुता (Sovereign)

संप्रभुता का अर्थ होता है किसी भी प्रकार के बाहरी शासन के अधीन नहीं होना। यहां तक कि भारत अपनी नीतियों और निर्णयों को स्वतंत्रता से बनाता है और उसे किसी भी विदेशी शक्ति के प्रभाव के बाहर रखता है। उदाहरण के रूप में, भारत अपनी विदेशी नीतियों को अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार स्वतंत्रता से निर्धारित करता है, और किसी भी अन्य देश के प्रयासों को अपने स्वतंत्र निर्णयों के बिना दबाव डाले।

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समाजवादी (Socialist)

समाजवादी भारत के समाज के सामाजिक और आर्थिक समृद्धि को ध्यान में रखता है। यह नारा स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास, और आर्थिक समानता के माध्यमों के माध्यम से अधिकारिकरण को प्रोत्साहित करता है। उदाहरण के रूप में, भारतीय सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में योजनाएं और योजनाएं लागू की हैं जो समाजवादी उद्देश्यों को प्राप्त करने की दिशा में काम करती हैं, जैसे कि महात्मा गांधी नरेगा, अयुष्मान भारत, और उत्तर प्रदेश की मुफ्त शिक्षा योजना।

धर्मनिरपेक्ष (Secular)

धर्मनिरपेक्षता का अर्थ होता है कि सरकार किसी विशेष धर्म के पक्षपात से दूर रहती है और सभी धर्मों के साथ न्यायाधीन रहती है। यहां भारत में धर्मनिरपेक्षता अनेकता में एकता को प्रोत्साहित करती है और सभी धर्मों को समान धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करती है। उदाहरण के रूप में, सभी धर्मों के प्रति समान संवेदनशीलता और सम्मान के साथ भारत में धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार संरक्षित है।

लोकतांत्रिक गणराज्य (Democratic Republic)

भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है जिसमें नागरिकों के चुनाव द्वारा चुनी गई सरकार शासन करती है। यहां नागरिकों को अधिकार होता है अपने नेताओं को चुनने और सरकार के निर्णयों में भाग लेने का। उदाहरण के रूप में, भारत में चुनावी प्रक्रिया, स्वतंत्र मीडिया, और न्यायपालिका के अनुसार नागरिकों को लोकतंत्र के साथ अपने अधिकारों का उपयोग करने की स्वतंत्रता होती है।

निष्कर्ष

भारतीय संविधान एक ऐसा राजनितिक दस्तावेज है जिसमें स्वतंत्रता, समानता, न्याय, धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक और आर्थिक समृद्धि का विवरण दिया गया है। इसके अलावा  भारत के विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक विचारधाराओं को संघटित किया गया है। संविधान भारतीय समाज को प्रगति की ओर ले जाने वाला महत्वपूर्ण कदम है। 


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अभ्यास प्रश्न

  1. भारतीय संविधान की प्रस्तावना में 'समाजवादी' शब्द का उल्लेख किसे कहलाता है? अ) सामाजिक विचारवाद ब) आर्थिक प्रणाली क) राजनीतिक व्यवस्था ख) धर्मनिरपेक्षता
  2. भारतीय संविधान के प्रस्तावना में 'धर्मनिरपेक्षता' का अर्थ क्या है? अ) धर्म की स्वीकृति ब) धर्म से संबंधित विवादों का समाधान क) राष्ट्र का किसी विशेष धर्म से संबंधित नहीं होना ख) धार्मिक संप्रदायों की आपसी समझ

उत्तर और स्पष्टीकरण:

  1. उत्तर: ब) सामाजिक विचारवाद स्पष्टीकरण: 'समाजवादी' शब्द का अर्थ सामाजिक विचारवाद होता है जो एक समाज में समानता, न्याय और समाज के विकास को प्रमुखता देता है।
  2. उत्तर: क) राष्ट्र का किसी विशेष धर्म से संबंधित नहीं होना स्पष्टीकरण: 'धर्मनिरपेक्षता' का अर्थ है कि राष्ट्र को किसी विशेष धर्म से संबंधित नहीं होना चाहिए और सभी धर्मों के साथ समान संवेदनशीलता और सम्मान का आदान प्रदान किया जाना चाहिए।

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भारतीय संविधान की प्रस्तावना से जुड़ी जानकारियां

भारतीय संविधान का विवरण

भारतीय संविधान प्रस्ताव के कुछ मुख्य उद्देश्य

भारतीय संविधान की प्रस्तावना (Preamble)

संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित तत्वों का विवरण

निष्कर्ष

अभ्यास प्रश्न

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