Hindi Optional UPSC | हिंदी साहित्य - वैकल्पिक विषय
January 24, 2024

12 Minutes
परिचय
हिंदी साहित्य भारतीय साहित्य का एक अहम हिस्सा है, जो विभिन्न कालों में विकसित हुआ है।आदिकाल,भक्ति काल, आधुनिक काल, और नवजागरण काल । प्रमुख लेखकों में तुलसीदास, सुरदास, प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, आदि शामिल हैं। हिंदी साहित्य में काव्य, गद्य, नाटक, कहानी, और निबंध जैसी विभिन्न शैलियाँ का अध्ययन किया जाता है ।
पिछले कुछ वर्षों में, हिंदी साहित्य हिंदी माध्यम के UPSC अभ्यर्थियों के साथ ही अंग्रेजी माध्यम के अभ्यर्थियों के बीच एक लोकप्रिय विषय बना है। पिछले कुछ वर्षों के परीक्षा परिणाम का आकलन करने पर हम देख सकते हैं कि अभ्यर्थियों ने इस विषय में शानदार अंक प्राप्त किए हैं और संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) में बेहतर रैंक प्राप्त की है।
विषय के मुख्य तत्वों को आसानी से समझने के लिए हम इसे निम्नलिखित भागों में विभाजित कर सकते हैं।
क्रमांक | खंड |
1 | वैकल्पिक विषय कैसे चुनें |
2 | वैकल्पिक विषय का महत्व |
3 | वैकल्पिक विषय कें रूप में हिंन्दी साहित्य को क्यों चुने ? |
4 | विगत वर्षो में हिंन्दी साहित्य परीक्षा परिणाम |
5 | हिंन्दी साहित्य पाढ्यक्रम |
6 | तैयारी करने का सही तरीका क्या हो सकता है। |
7 | उत्तर लेखन में कौन-कौन सी बातें ध्यान में रखनी चाहिए |
8 | हिंदी साहित्य के लिए प्रमुख पुस्तकें |
वैकल्पिक विषय कैसे चुनें?
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC ) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए अभ्यर्थियों को कई चरणों से गुजरना पड़ता है, एवं इसके प्रत्येक चरण (प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार) के लिये अभ्यर्थियों को एक व्यापक रणनीति बनानी होती है, ताकि प्रत्येक चरण के बीच समुचित समन्वय स्थापित कर सके।
इस परीक्षा कि तैयारी के दौरान अभ्यर्थियों के लिए महत्वपूर्ण एवं कठिन निर्णय, मुख्य परीक्षा के एक विशेष पक्ष वैकल्पिक विषय का चयन सटीक हो, यह निर्णय इतना महत्वपूर्ण है कि प्रायः इसी से अभ्यर्थियों कि सफलता या विफलता तय हो जाती है।
वैकल्पिक विषय चयन का आधार-
अंकदायी विषय अभ्यर्थियों के लिए यह जानना महत्वपूर्ण हैं कौन सा विषय अंकदायी है और कौन सा नहीं? इसके लिये टॉपर्स के पिछले 4-5 वर्षों के वैकल्पिक विषयों के अंकों का मूल्यांकन करके, हम जान सकते हैं कि कौन-कौन से विषय अंकदायी हैं और कौन से नहीं।
पाठ्यक्रम का छोटा आकार अभ्यर्थियों को इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए, विषय को कितने महीने में पूरा किया जा सकता है| जैसे- हिंदी साहित्य
उदाहरण - हिंदी साहित्य के दोनों (प्रश्न पत्र - I & II ) पेपर को एक साथ तैयार किया जा सकता है |
रामचन्द्र शुक्ल द्वारा किया गया हिंदी साहित्य का काल - विभाजन (प्रश्न पत्र - I UPSC 2022)
'कविता क्या है ' निबंध के आधार पर आचार्य रामचंद्र शुक्ल के काव्य विषयक विचार प्रस्तुत कीजिए ( प्रश्न पत्र - II UPSC 2022)
पाठ्यक्रम की स्थिरता
पाठ्यक्रम विषय-वस्तु अपनी प्रकृति में कितनी स्थिर है अर्थात् समय के साथ परिवर्तित होती है या नहीं होती है|
हम एक उदाहरण से समझ सकते हैं कुछ विषय की प्रकृति में अत्यंत परिवर्तनशील या डायनमिक हैं (जैसे- राजनीति विज्ञान, लोक-प्रशासन, समाजशास्त्र या अर्थशास्त्र), छात्रों को लगातार इस बात के लिए सतर्क रहना पड़ता है कि किसी टॉपिक के संबंध में कोई नया अनुसंधान हुआ है या नहीं ।
अभ्यर्थियों कि पृष्ठभूमि- इसका तात्पर्य है कि छात्र जिस वैकल्पिक विषय को चुन रहा है, उसने उस विषय का अध्ययन स्नातक या स्नातकोत्तर स्तर पर किया है या नहीं, छात्रों की पृष्ठभूमि होने से विषय में फ़ायदा मिल सकता है, हालांकि यह पूर्णता सत्य नहीं है।
अभ्यर्थियों को वैकल्पिक विषय के चयन में अन्य प्रमुख बातों का ध्यान रखना चाहिए
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- सामान्य आध्ययन की तैयारी में भी सहायक है या नहीं
- पुस्तकें आसानी से उपलब्ध हैं या नहीं
- उस विषय में इस परीक्षा की तैयारी के लिए उपयुक्त मार्गदर्शन मिल सकेगा या नहीं
- विषय वस्तु रुचिकर होना चाहिये पड़ने में बोरियत न लगे
वैकल्पिक विषय का महत्व
मुख्य परीक्षा में वैकल्पिक विषय 500 अंको का है, वहीं सामान्य अध्ययन 1000 अंको का इसलिए अभ्यर्थियों को सामान्य अध्ययन पर ज्यादा बल देना चाहिये एवं वैकल्पिक विषय पर कम, ऐसा कहने वाले वैकल्पिक विषय कि रणनीतिक महत्व को नहीं समझतें।
पिछले कुछ वर्षों के परीक्षा परिणामों पर नज़र डालें तो आप पाएंगे गंभीर अभ्यर्थियों को सामान्य अध्ययन में 1000 अंको में से औसत 340 -370 अंक प्राप्त हुए, वहीं आप पाएंगे वैकल्पिक विषय में गंभीर अभ्यर्थियों ने औसत 270-325 अंक हासिल किये ।
आप पाएंगे सामान्य अध्ययन के विपरीत, वैकल्पिक विषय का औसत बेहतर स्थिति में है, अर्थात वैकल्पिक विषय का महत्त्व अपने आप स्पष्ट हो जाता है। अभ्यर्थियों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए, वैकल्पिक विषय का चयन बहुत सोच-समझकर करना होगा । तभी आपको परीक्षा परिणाम में लाभ मिल सकता है
वैकल्पिक विषय कें रूप में हिंन्दी साहित्य को क्यों चुने?
- हिंदी साहित्य को वैकल्पिक विषय रूप में चयन करना योग्य है, क्योंकि यह तुलनात्मक रूप से अन्य विषयों से सरल, सहज एवं रूचिकर के साथ पड़ने में भी आसान हैं ।
- अधिक अंकों की संभावना
- पाठ्यक्रम का छोटा आकार
- 3-4 माह में तैयारी संभव
- निश्चित और स्पष्ट पाठ्यक्रम
- लेखन कौशल का विकास। निबंध, एथिक्स में फायदा मिल सकता है ।
- इस बात में कोई सन्देह नहीं है की हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों के लिये हिंदी साहित्य सर्वश्रेष्ठ विषय है।
तर्क यह है कि विगत कुछ वर्षों के सिविल सेवा परीक्षा परिणाम में हिंदी माध्यम के अधिकांश शुरुआती रैंक उन्हीं उम्मीदवारों के हैं जिनके पास यह विषय था। ( निषांत जैन 13 वी रैंक 2013, रवि सिहाग रैंक 18वी 2021, एवं कृतिका मिश्रा रैक 66वी 2022 वैकल्पिक विषय हिंन्दी साहित्य थे।)
- यह कथन पूर्णतः सत्य नहीं है कि यह विषय केंवल हिंन्दी माध्यम पृष्ठभूमि के अभ्यर्थियों के लिए ही उचित है, अधिकांश सफल अभ्यर्थियों की पृष्ठभूमि साहित्य या हिंन्दी माध्यम ना होने के बावजूद, उन्होंने बहुत अच्छे नंबर प्राप्त किए हैं। एक उदाहरण से समझ सकते हैं (2014 में रैंक 49, पवन अग्रवाल ने इंग्लिश मीडियम से परीक्षा उत्तीर्ण की, वैकल्पिक विषय हिन्दी साहित्य था, वहीं प्रदीप कुमार द्विवेदी( 2018 में रैक,74) में सामान्य अध्ययन का माध्यम अंग्रेजी एवं वैकल्पिक विषय हिंन्दी साहित्य था जिसमें में उनको 344 अंक प्राप्त हुए)
हिंन्दी साहित्य क्यों न चुनें ?
- यदि हिन्दी भाषा लिखने या पढ़ने में दिक्कत हो।
- विषय का दायरा व्यापक, विषय वस्तु को समझने के साथ रटना भी होता हैं ।
- भाषा-साहित्य बिल्कुल पसंद न हों।
- सामान्य अध्ययन जैसे विषय में कोई मदद नहीं मिलती।
विगत वर्षो में हिंन्दी साहित्य परीक्षा परिणाम
वर्ष | कुल उम्मीदवार | उम्मीदवारों की सिफारिश की गई | सफलता दर (प्रतिशत) |
2014 | 407 | 22 | 5.4 % |
2015 | 428 | 12 | 2.5 % |
2016 | 288 | 36 | 12.5 % |
2017 | 267 | 19 | 7.1 % |
2018 | 236 | 15 | 6.4 % |
2019 | 191 | 13 | 6.8 % |
2020 | 226 | 19 | 8.4 % |
डेटा स्रोत यूपीएससी की वार्षिक रिपोर्ट
हिंन्दी साहित्य पाढ्यक्रम
हिंदी साहित्य को दो प्रश्नपत्रों में बाँटा गया है, पहले प्रश्नपत्र में हिंदी भाषा के उद्भव, विकास, और कालखंडों के बारे में अध्ययन किया जाता है, जबकि दूसरे प्रश्नपत्र में हिन्दी भाषा में लिखे गए प्रमुख कविताएं, उपन्यास, नाटक, कहानियाँ, आदि का अध्ययन किया जाता है।
वैकल्पिक विषय कुल 500 अंको है, जिसमें 250 - 250 अंको के प्नश्नपत्र होते है
प्रश्नपत्र-1
खंड: ‘क’ (हिन्दी भाषा और नागरी लिपि का इतिहास)
पुरानी हिंन्दी | अपभ्रंश- अवहट्ट और प्रारंभिक हिन्दी का व्याकरणिक |
मध्यकाल | मध्यकाल में ब्रज और अवधी का साहित्यिक भाषा के रूप में विकास। ( खुसरो, कबीर, तुलसी, रहीम आदि कवियों और दक्खिनी हिन्दी में खड़ी बोली का प्रारंभिक स्वरूप। ) |
हिन्दी भाषा का आधुनिक काल | खड़ी बोली और नागरी लिपि का विकास। मानक हिंन्दी का व्याकरण भाषा का मानकीकरण स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान राष्ट्र भाषा के रूप में हिन्दी का विकास। हिन्दी भाषा का वैज्ञानिक और तकनीकी विकास। भारतीय संघ की राजभाषा के रूप में हिन्दी का विकास। हिन्दी की प्रमुख बोलियाँ का विकास |
खंड -‘ख’ (हिन्दी साहित्य का इतिहास)
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हिन्दी साहित्य की प्रासंगिकता और महत्त्व तथा हिन्दी साहित्य के इतिहास-लेखन की परम्परा। हिन्दी साहित्य के इतिहास के निम्नलिखित चार कालों की साहित्यिक प्रवृत्तियाँ
(क)आदिकाल (1000-1350ई) | सिद्ध, नाथ और रासो साहित्य, प्रमुख कविः चंदबरदाई, खुसरो, हेमचन्द्र, विद्यापति। |
(ख)भक्तिकाल (1350-1650ई ) | राम-कृष्ण भक्तिधारा, संत काव्य धारा और सूफी काव्यधारा, । प्रमुख कवि: कबीर, जायसी, सूरदास और तुलसी। |
(ग) रीतिकाल (1650-1850 ई ) | रीतिकाव्य, रीतिबद्ध काव्य, रीतिमुक्त काव्य, प्रमुख कवि: केशव, बिहारी, पदमाकर और घनानंद। |
(घ) आधुनिक काल (1850 ई से वर्तमान ) | (क) भारतेन्दु मंडल /काल (नवजागरण, गद्य का विकास ) प्रमुख लेखक: भारतेन्दु, बाल कृष्ण भट्ट और प्रताप नारायण मिश्र। |
(ख.) आधुनिक हिन्दी कविता की मुख्य प्रवृत्तियाँ। छायावाद, प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नई कविता। प्रमुख कवि: जयशंकर प्रसाद, सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’, महादेवी वर्मा, सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’। | |
गद्य का विकास ( कथा साहित्य) | |
हिन्दी उपन्यासों का उद्भव और विकास प्रमुख उपन्यासकार: प्रेमचन्द, जैनेन्द्र, यशपाल। | |
हिन्दी कहानी का उद्भव और विकास प्रमुख कहानीकार प्रेमचन्द, जयशंकर प्रसाद, सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’, मोहन राकेश । | |
नाटक और रंगमंच हिन्दी नाटक का उद्भव और विकास प्रमुख नाटककार: भारतेन्दु, जयशंकर प्रसाद, मोहन राकेश। | |
हिंन्दी रंगमंच का विकास आलोचना- हिन्दी आलोचना का उद्भव और विकास प्रमुख आलोचक - रामचन्द्र शुक्ल, हजारी प्रसाद द्विवेदी, रामविलास शर्मा और नगेन्द्र। हिन्दी गद्य की अन्य विधाएँः ललित निबंध, रेखाचित्र, संस्मरण, यात्रा वृत्तान्त। |
प्रश्नपत्र-2
इस प्रश्नपत्र में निर्धारित मूल पाठ्यपुस्तकों को पढ़ना अपेक्षित होगा , जिससे अभ्यर्थियों का आलोचनात्मक क्षमता का विकास हों |
खंड: ‘क’ (पद्य साहित्य)
कबीर | ग्रंथावली (आरंभिक 100 पद) श्याम सुन्दर दास |
सूरदास | भ्रमरगीत सार (आरंभिक 100 पद) रामचंद्र शुक्ल |
तुलसीदास | रामचरित मानस (सुंदर काण्ड), कवितावली (उत्तर काण्ड) |
जायसी पदमावत | (सिंहलद्वीप खंड और नागमती वियोग खंड) श्याम सुन्दर दास |
बिहारी | बिहारी रत्नाकर (आरंभिक 100 दोहे) जगन्नाथ दास रत्नाकर |
मैथिलीशरण गुप्त | भारत भारती |
जयशंकर प्रसाद | कामायनी (चिंता और श्रद्धा सर्ग) |
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ | राग-विराग (राम की शक्ति पूजा और कुकुरमुत्ता) रामविलास शर्मा |
रामधारी सिंह ‘दिनकर’ | कुरुक्षेत्र |
अज्ञेय | आंगन के पार द्वार (असाध्यवीणा) |
मुक्ति बोध | ब्रह्मराक्षस |
नागार्जुन | बादल को घिरते देखा है, अकाल और उसके बाद, हरिजन गाथा। |
खंड: ‘ख’ (गद्य साहित्य)
भारतेन्दु | भारत दुर्दशा |
मोहन राकेश | आषाढ़ का एक दिन |
रामचंद्र शुक्ल | चिंतामणि (भाग-1), (कविता क्या है, श्रद्धा-भक्ति)। |
निबंध निलय | संपादक: डॉ. सत्येन्द्र। बाल कृष्ण भट्ट, प्रेमचन्द, गुलाब राय, हजारीप्रसाद द्विवेदी, रामविलास शर्मा, अज्ञेय, कुबेरनाथ राय। |
प्रेमचंद | गोदान, ‘प्रेमचंद’ की सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ (संपादक: अमृत राय) |
जयशंकर प्रसाद | स्कंदगुप्त |
यशपाल | दिव्या |
फणीश्वरनाथ रेणु | मैला आंचल |
मन्नू भण्डारी | महाभोज |
राजेन्द्र यादव | एक दुनिया समानान्तर (सभी कहानियाँ) |
तैयारी करने का सही तरीका क्या हो सकता है?
निम्नलिखित चरणों का अनुसरण कर सकते हैं
चरण I पाठ्यक्रम में निर्धारित सभी पुस्तकें पढ़ें ताकि प्रश्नपत्र को हल करते समय सही संदर्भ लिख सकें, क्योंकि व्याख्या करते समय, व्याख्या खंड में सही संदर्भ पहचानना बेहद ज़रूरी है।
पद्य खंड में संदर्भ पहचानना आसान एवं व्याख्या करना थोड़ा कठिन होता है, जबकि गद्य खंड में संदर्भ पहचानना कठिन एवं व्याख्या करना आसान होता है।
चरण II प्रश्नपत्र 1 के खंड 'ख' (हिन्दी साहित्य का इतिहास) को ध्यानपूर्वक तैयार करें, जिससे यह प्रश्नपत्र-2 में भी उपयोगी होगा। हिन्दी साहित्य के विकास को सही तरीके से समझें, और इसे क्रमबद्ध तरीके से विवेचित करें। जिससे आपको को प्रश्नपत्र-2 को तैयार करने में मदद मिल सके ।
(हम एक उदाहरण से समझ सकते हैं कि प्रश्नपत्र - II (खंड - ख) में हम कहानी पढ़ रहे हैं और इसके साथ ही प्रश्नपत्र - I (खंड - ख) में हम कहानी के इतिहास को पढ़ सकते हैं, इसी तरह अन्य विषयों को भी कवर किया जा सकता हैं। इस प्रक्रिया को अपनाकर प्रश्नपत्र -I एवं प्रश्नपत्र -II दोनों को मिलाकर पढ़ सकते हैं )
- मोहन राकेश के ऐतिहासिक नाटकों की मंच - सज्जा का विवेचना किजिए | (प्रश्न पत्र -I वर्ष 2023 )
- 'रंगमंच' की दृष्टि से 'आषाढ़ का एक दिन' की विवेचना कीजिये | (प्रश्न पत्र -II वर्ष 2023 )
(आषाढ़ का एक दिन-मोहन राकेश )
चरण III विभिन्न लेखकों और कवियों के उक्तियों और काव्य पंक्तियों का अध्ययन दोनों प्रश्नपत्रों, विशेषकर द्वितीय प्रश्नपत्र में, महत्त्वपूर्ण है। एक अच्छा उत्तर तभी माना जाएगा, जब हम अपने उत्तर की पुष्टि करें। अर्थात उदाहरण देने से आपके तर्कों की पुष्टि होगी। इसलिए, उदाहरणों को अवश्य लिखिए,यह अवश्य ध्यान दें कि उदाहरण प्रासंगिक और सही हों ।
जैसे- 'किलकत कान्ह घुटरुवनि आवत', 'सूर के वात्सल्य' का उदाहरण है।
'समन्वय उनका करे समस्त, विजयीनी मानवता हो जाए', 'कामायनी के समरसता के दर्शन' को प्रतिपादित करती हैं।)
चरण IV उत्तर लेखन में कोटेशन्स की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, अभ्यर्थी कोटेशन्स को नोट करे , वहीं इन्हें निरंतर दोहराते रहें।
(हम एक उदाहरणार्थ से समझ सकते हैं , मैं उन लोगों में हूँ और ऐसे लोगों की संख्या दिन-प्रतिदिन घटती जा रही है जो भाषा का सम्मान करते हैं और अच्छी भाषा को अपने आप में एक सिद्धि मानते हैं; अज्ञेय यह कथन अच्छी भाषा को प्रतिपादित करता है।
उत्तर लेखन में कौन-कौन सी बातें ध्यान में रखनी चाहिए
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- कथन की पुष्टि हेतु यथासम्भव उदाहरण देना न भूलें
- महत्वपूर्ण बातों को अंडरलाइन कर सकते हैं।
- प्रयास करें कि अपने उत्तर में कोटेशन लिखें यह अवश्य ध्यान दें कि कोटेशन प्रासंगिक और सही हों ।
नोट
प्रश्न संख्या 1 और 5 अनिवार्य हैं तथा बाकी प्रश्नो में से प्रत्येक खण्ड से कम से कम एक प्रश्न चुनकर तीन प्रश्नो के उत्तर दीजिए |
प्रश्नो के उत्तर हिंदी (देवनागरी लिपि ) में ही लिखे जाएँगे |
एक अच्छे उत्तर में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उदाहरण
जग हठवाड़ा स्वाद ठग , माया बेसा लाई |
रामचरन नीकी गही , जिनि जाइ जनम ठगाइ ||
कबीर माया मोहनी , जैसी मीठी खाँड़ |
सतगुरु कृपा भई ,नहीं तो करती भाँड़ ||
हल करने का दृष्टिकोण
- सन्दर्भ जैसे कबीर भक्तिकाल के निर्गुण शाखा के ज्ञानमार्गी उपशाखा के महानतम कवि थे। काव्य संग्रह का उल्लेख करे एवं संकनकर्ता (यदि हो तो ) उल्लेख करे
- प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियों में कवि क्या कहना चाहते है , उल्लेख करें
- व्याख्या प्रस्तुत पंक्तियों के आधार पर
- विशेष पक्ष किसी लेखक या कवि द्वारा कोई विशेष कथन
- काव्य पक्ष प्रस्तुत पंक्तियों में भाव क्या हैं, जैसे वीर रस , शृंगार रस या अन्य कवि की इस प्रकार का कोई भाव है उनका उल्लेख करें
- शिल्प पक्ष भाषा, अलंकार ,छंद आदि का उल्लेख करें
प्रासंगिता - वर्तमान सन्दर्भ , कोई अन्य विशेष पक्ष है उसका उल्लेख करें
हिंदी साहित्य टॉपर्स कॉपी
हिंदी साहित्य के लिए प्रमुख पुस्तकें
नोट-पाठ्यक्रम में निर्धारित सारी मूल टेक्स्ट बुक्स पढ़े|
NCERT 11th class | साहित्य शास्त्र परिचय |
हिन्दी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास | डॉ विश्वनाथ त्रिपाठी |
हिन्दी साहित्य का इतिहास | डॉ नगेन्द्र/ आचार्य रामचंन्द्र शुक्ल |
हिन्दी भाषा | डॉ हरदेव बाहरी |
छायावाद | डॉ नामवर सिंह |
कबीर | हजारी प्रसाद द्विवेदी |
कविता के नए प्रतिमान | नामवर सिंह |
अन्य | किसी अच्छी कोचिंग के नोट्स देख लें। |
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