बचपन से बड़े होने तक और उसके बाद भी हर किसी को किसी न किसी खेल में रूचि रही है. कईयों में खेल को लेकर जन्म से पैशन रहा है और अगर आप उनमें से एक हैं. जो खेलकूद (खेल में करियर) या (Career In Sports) में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो आपको जानकर ख़ुशी होगी कि यहाँ खेल की दुनिया में काफी मौके है जहाँ आप अच्छी सैलरी के साथ नौकरी या जॉब कर सकते है, तो अब हमारा यह कहना बिलकुल गलत नहीं होगा कि,
पढ़ोगे लिखोगे तो नवाब, लेकिन खेलोगे कूदोगे तो बनोगे नायाब.
तो आइये इस आर्टिकल से जानते है आप खेल में किस तरह और कहाँ-कहाँ जॉब या नौकरी कर सकते है-
- खेल में करियर कैसे बनाएं?
- खेल में करियर का लंबे समय तक का क्या फायदा है?
- खेल में कौन-कौनसे करियर के विकल्प है?
- खेल में करियर बनाने के लिए यहाँ करना होता है अप्लाई?
तो आईये जानें कि कैसे बना सकते हैं खेल (स्पोर्ट्स) में एक बेहतरीन करियर और कैसे पूरा करें अपने सपनों को –
स्पोर्ट्स में करियर कैसे बनाएं ?
सबसे पहले तो आप निर्णय करलें कि वो कौनसा खेल या स्पोर्ट्स है जिसमें आप बचपन से ही अच्छे खिलाड़ी रहे है. वो कौनसा खेल है जो आपने बचपन से देखना और खेलना पसंद किया है और अगर आपका करियर उसी स्पोर्ट्स में बन जाये तो आपकी एक बहुत बड़ी ख्वाइश पूरी हो जाएगी. जैसे ही आप यह तय कर लेंगे कि आपकी रूचि किस खेल में है. आप उस स्पोर्ट्स में करियर बनाने का पहला स्टेप क्लियर कर लेंगे.
आज वर्तमान समय में खेल में बहुत सारी जॉब और नौकरियां उपलब्ध हैं लेकिन आपको इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं है. इन जॉब को पाने के लिए हम आपको कुछ सामान्य बातें बता रहे हैं जो कि आपको अपने करियर बनाने में बहुत मदद करेंगे.
खेल में शुरुआत करने वालों के लिए कुछ टिप्स
अपने इंटरेस्ट को फ़ॉलो करें — सोचिये कि कौनसा वो खेल है जिसे आप बहुत पसंद करते है और किस फील्ड में करियर बनाना चाहते है.
औरों से सलाह लें — अगर आपके स्कूल, कॉलेज में या आपका कोई आपका दोस्त या कोई अन्य खेल की जानकारी रखता है तो आप उनसे सलाह ले सकते हैकिस खेल में अपना करियर बनाएं. हालाँकि हम उसी खेल को करियर बनाते है जिसमें हमें रूचि होती है क्योंकि जो क्रिकेटर है वो हॉकी थोड़े ही चुनेगा.
अपनी स्किल को डवलप करें — यह भी देखलें कि आप किस तरह से खेल को अपना करियर बनाएंगे. मतलब आपको स्किल पर भी काम करना चाहिए.
प्लान बनाएं — वहीं आप एक इसके लिए अपना प्लान बनाएं और उसका उद्देश्य रख दें कि आप क्या हासिल करना चाहते है. यह सब करना बहुत निर्भर करता है कि आप कितनी लगन से आगे बढना चाहते है.
अनुभव लें — इसके साथ ही जिस किसी भी खेल को आप करियर बनाने जा रहे है उसमें अनुभव भी लें ताकि सफलता जल्दी मिले. अनुभव ही आपको सफलता के कदम चूने में मदद करता है. इसके अलावा आप इंटर्नशिप कर सकते है साथ ही पार्ट टाइम जॉब, मिलकर किसी काम को सफल बनाएं.
एंट्री लेवल की जॉब — एंट्री लेवल पोजीशन या जॉब को ध्यान में रखें. यह आपके करियर में एक मील के पत्थर की तरह काम करता है और आपको अनुभव मिलता है.
नेटवर्क बढाएं — व्यवसायिक संगठन, ऑनलाइन व्यवसाय या किसी समारोह, कांफ्रेंस में भाग लेकर भी आप अपना ज्ञान बढ़ा सकते है.
खेल में करियर बनाने के फायदे क्या है
कई लोगों को लगता है के खेल में करियर बनाने के लिए आपको एथलीट या किसी एक खेल में अच्छा परफ़ॉर्मर होना जरुरी है. जबकि खेल जगत काफी बड़ा है और इसमें अनेकों तरह की नौकरियां या जॉब हैं जिसके लिए आपको एथलेटिक होने की जरुरत नहीं है और कोई भी इस फील्ड में करियर बना सकता है. तो कहा जा सकता है कि खेल एक ऐसा वर्सटाइल फील्ड है जिसमें हर किसी के लिए अवसर ही अवसर है. इसिलए हम कुछ ऐसे तथ्य या जानकारियाँ लेकर आये हैं जो आपको पता चलेगा कि खेल के फायदे क्या है-
जॉब के अवसर
खेल में करियर बनाने का एक सबसे बड़ा फायदा है कि इसमें बहुत सारे विकल्प होते है. अगर आप एथलिट बनना चाह रहे हैं लेकिन किसी कारण से आप अपने आपको उस विशेष प्रोफाइल में फिट नहीं पाते है तो आप किसी और अवसर को चुन सकते है और अच्छा करियर बना सकते है.
अच्छी खासी इनकम
अगर आप पहले से ही खेलकूद में प्रयास कर रहे हैं और प्रोफेशनल एथलिट के रूप में करियर बनाना चाहते हैं तो एक चीज़ जो आपके सबसे ज्यादा प्रेरित करेगी वो है पोटेंशियल. प्रोफेशनल एथलीट जैसे की सॉकर या फुटबॉल प्लेयर्स, बास्केटबॉल प्लेयर्स, बेसबॉल प्लेयर्स तथा क्रिकेटर खिलाड़ियों का वेतन काफी अच्छा होता है. अगर आप खेल को लेकर डेडिकेटेड हैं और हमेशा अपने आपको स्पोर्ट्स प्रोफेशन में रखना चाहते हैं तो खेल ही आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प है.
प्रोग्रेशन और प्रोमोशन
अगर आप खेल जगत में काम करने क लिए पूरी तरह से तैयार है पैशनेट हैं और अपने लाइफ में खेल को ही कामयाबी के रूप में देख रहे हैं तो खेल जगत में आपको बेहतरीन मौके मिलेंगे. जैसे-जैसे आप अनुभव लेंगे आपका करियर और अच्छा होता जायेगा और एक अच्छी प्रोफाइल के साथ बड़ी जॉब मिलने के अवसर बढ़ जायेंगे.
स्वास्थ्य में मिलते है ये फायदे
अगर आप अपना लाइफस्टाइल और स्वास्थ्य हमेशा अच्छा रखना चाहते है, तो खेल में करियर बनाना आपके लिए बहुत अच्छा रहेगा क्योंकि इससे आपकी लाइफस्टाइल तथा हेल्थ दोनों हमेशा बेहतर बनी रहेगी. इसके अलावा खेल आपको आपकी लाइफ में प्रेरणा, फोकस तथा अनुशासित रखने में मदद करेगा.
खेल जगत में करियर के कौन-कौनसे विकल्प है?
खेल जगत या स्पोर्ट्स इंडस्ट्री में बहुत सारे विकल्प है क्योंकि यह बहुत बड़ी इंडस्ट्री है. अगर आप एक एथलीट नहीं भी है तो भी आपके लिए इसमें बहुत से मौके है जहाँ अपना करियर संवार सकते है।
पहले के मुकाबले आज की तारीख में करियर के विकल्प काफी ज्यादा बढ़ गए है और अब महिलायें भी उतनी ही सक्रिय दिख रहीं है जितने पुरुष दिखते है. तो आइये अब जानते है यह कि खेल में वो कौन-कौन से अवसर है जिसमें हम अपना करियर बना सकते है।
फिटनेस डाइरेक्टर
फिटनेस डाइरेक्टर वो प्रोफेशनल है जो कि व्यक्तिगत या सामूहिक रूप में फिटनेस एक्टिवीटी का ध्यान रखते है। जिसमें फिटनेस फेसिलिटी, होटल ार कॉर्पोरेशन भी शामिल है। इसके अलावा फिटनेस डाइरेक्टर हेल्थ एजुकेशन जैसे कार्यकर्मों को डेवलप करने का काम भी करते है।
फिटनेस डाइरेक्टर में ये रोल होते है जैसे-
फिटनेस प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर
अकेडमिक रिक्वायरमेंट्स
बेचलर की डिग्री
(फिटनेस मैनेजमेंट, हेल्थ और फिटनेस या कोई और)
मास्टर की डिग्री
(हेल्थ और फिटनेस मैनेजमेंट, एकसरसाइज फिजियोलोगी या कोई और)
फिटनेस डाइरेक्टर
अकेडमिक रिक्वायरमेंट्स
बेचलर की डिग्री
(फिटनेस मैनेजमेंट, हेल्थ और फिटनेस या कोई और)
मास्टर की डिग्री
(हेल्थ और फिटनेस मैनेजमेंट, एकसरसाइज फिजियोलोगी या कोई और)
थेराप्युटिक रिक्रेशन डाइरेक्टर
अकेडमिक रिक्वायरमेंट्स
बेचलर की डिग्री
(फिटनेस मैनेजमेंट, हेल्थ और फिटनेस या कोई और)
मास्टर की डिग्री
(हेल्थ और फिटनेस मैनेजमेंट, एकसरसाइज फिजियोलोगी या कोई और)
स्पोर्ट्स और फिटनेस कोऑर्डिनेटर
अकेडमिक रिक्वायरमेंट्स
बेचलर की डिग्री
(फिटनेस मैनेजमेंट, हेल्थ और फिटनेस या कोई और)
मास्टर की डिग्री
(हेल्थ और फिटनेस मैनेजमेंट, एकसरसाइज फिजियोलोगी या कोई और)
कोच
स्कूलिंग से लेकर प्रोफेशनल स्पोर्ट्स तक कोचों की काफी मांग रहती है. हर लेवल के साथ अलग-अलग जिम्मेदारियां भी होती है। साथ ही अलग एजुकेशनल बैकग्रॉउंड से लेकर डिफरेंट स्पोर्ट्स के लिए कोचों की भी जरुरत होती है।
प्रोफेशनल खेलों में कोच की काफी प्रतिभाशाली कोचों की जरूरत होती है। इस तरह एक अच्छे स्तर का कोच बनने के लिए शुरुआत कॉलेज कोच और एथलीट से की जा सकती है और फिर धीरे-धीरे आप मुख्य कोच के लेवल तक पहुँच सकते हैं. क्योंकि एक मुख्य कोच जिम्मेदारियां होती है कि वो टीम ओर्गनाइज डायरेक्ट एंड मोटीवेट करे सो उसे अपने स्पोर्ट्स को लेकर काफी पैशनेट होना जरुरी है.
यहाँ हमने 2 लेवल पर कोच की प्रोफाइल बताई है –
1 – हाई स्कूल में कोच
शैक्षिक योग्यता
एक हाई स्कूल कोच के पास कम से कम बेचलर की डिग्री और टीचिंग लाइसेंस होना जरूरी है. इनके पास एज्युकेशन डिग्री या फिर एकसरसाइज, काईनसियोलोजी, फिजिकल एज्युकेशन, या किसी भी उचित क्षेत्र से डिग्री होनी जरूरी है. हाई स्कूल कोचों का CPR (Cardio-Pulmonary Resuscitation) सर्टिफाइड भी होना जरूरी है. इसके अलावा हाई स्कूल के कोच ड्रग टेस्ट तथा बैकग्राउंड टेस्ट से भी गुजरना पड़ता है.
अनुभव
हाई स्कूल कोच को खेल के नियमों का अच्छा ज्ञान होना चाहिये. हाई स्कूल के कोच मुख्य रूप से खेल की रणनीतियां बनाते है. हर एक स्पोर्ट्स के सीजन में एक कोच को नए बदलाव को अधिकृत रूप से लागू करना होता है.
2 – कॉलेज के स्पोर्ट्स कोच
शैक्षिक योग्यताएं
कॉलेज कोच के पास कम से कम एक बेचलर की डिग्री तो होनी ही चाहिए. इसके अलावा कॉलेज के स्पोर्ट्स कोच को एथलीट कोचिंग, स्पोर्ट्स साइंस, फिजिकल एज्युकेशन या किसी अन्य खेल सम्बन्धी क्षेत्र से अनुभव होंना जरूरी है. कॉलेज कोच के पास CPR (Cardio-Pulmonary Resuscitation) का सर्टिफिकेशन, प्राथमिक उपचार में सर्टिफिकेशन और किसी या संस्थान विशेष से भी सर्टिफिकेट होना जरूरी है.
नोट – करंट पोजीशन कोचों, कोऑर्डिनेटर्स और असिस्टेंट हेड कोचों को NCAA (नेशनल कॉलेजिएट एथलेटिक एसोसिएशन) या NFL (नेशनल फुटबॉल लीग) कोच की अकादमी के लिए अप्लाई कर सकते हैं जो कि एथलेटिक्स एजुकेशन और ट्रेनिंग में हेल्प करेगा.
अनुभव
एक अच्छे लेवल पर कॉलेज में खेल के फील्ड में कोच बनने के लिए शुरुआत स्कूल के कोच बनकर की जा सकती है. कोच एक ऐसा प्रोफेशन है जो कि अनुभव के ऊपर निर्भर करता है और उसके लिए एंट्री-लेवल पर ही सही लेकिन शुरुआत करना जरुरी है. इसके बाद किसी भी प्लेयर को ट्रैन करने के लिए आपका एक अच्छा अनुभवी कोच होना जरूरी होता है.
जनरल मैनेजर
जनरल मैनेजर की पोजीशन किसी भी खेल संगठन में सबसे ऊंची पोजीशन मानी जाती है और इस पोजीशन के साथ ही आती है काफी बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियां. जनरल मैनेजर टीम के सारे बिज़नेस मैटर्स को हैंडल करता है जिसमें बजट, रिविन्यु भी शामिल होता है. इसके अलावा जब भी कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस या कोई ईवेंट होती है तो उसमें एक जनरल मैनेजर ही बोलने वाला व्यक्ति होता है. इस पोजीशन में काफी ट्रेवल करना पड़ सकता है जिससे पता यही चलता है कि इसमें जो भी कोई जाता है तो वह बहुत हद तक व्यस्त ही रहेंगे.
नौकरी में आवश्यकताएँ
बाकी सारी जिम्मेदारियों के अलावा जनरल मैनेजर कॉन्ट्रैक्ट और ट्रेड डील के वार्ता या नेगोटिएशन को भी हैंडल करना पड़ता है. जबकि प्रोफेशनल स्पोर्ट्स लेवल पर जनरल मैनेजर की जिम्मेदारियां ये है कि मुख्य कोच को हायर करना और प्रबन्धकीय स्थिति पर ध्यान देना. जनरल मैनेजर सीधे टीम के तहत काम करते है लेकिन खिलाड़ियों से सम्बंधित निर्णय डीएम के हाथों होता है और इसलिए जनरल मैनेजर का आत्मविश्वास हमेशा अच्छा होना चाहिए.
शिक्षा
वैसे देखा जाए तो जनरल मैनेजर बनने के लिए आपका अनुभव होना बहुत जरूरी होता है और इसके अलावा इसमें कम से कम ग्रेजुएशन होना भी जरूरी है. बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन, खेल प्रबंधन या फिजिकल एजुकेशन में बैचलर की डिग्री और खेल में कोचिंग का अच्छा अनुभव होना बहुत महत्वपूर्ण है.
खेल पत्रकारिता
खेल विभाग में आज बहुत सारे विकल्प है और उसमें से एक है पत्रकारिता. इस विभाग में आप एक पत्रकार भी बन सकते है. साथ ही टेलीविजन में एंकर या रिपोर्टर तथा कमेंटेटर भी बन सकते है.
1 – स्पोर्ट्स एंकर और कमेंटेटर
स्पोर्ट्स एंकर या अनाउंचर किसी भी खेल में जरुरत होती है और आप भी बनकर अपना करियर अच्छा बना सकते है. लाइव रेडियो या टेलीविज़न इसमें मुख्य है. उनका मुख्य किरदार होता है खिलाड़ियों तथा कोच का इंटरव्यू लेना. स्पोर्ट्स अनाउंचर में जॉब काफी कॉम्पिटिटिव होती है और कम से कम खेल विभाग में या इससे सम्बंधित किसी क्षेत्र में पत्रकारिता की डिग्री होनी चाहिए. इसके अलावा इसमें खेल का अच्छा अनुभव भी होना चाहिए.
शिक्षा
स्पोर्ट्स एंकर या अनाउंचर बनने के लिए आपके पास खेल का अच्छा ज्ञान होना चाहिए. साथ ही आपको अच्छे से बोलना भी उतना ही जरुरी है. वहीं अगर आप चाहे तो इंटर्नशिप भी कर सकते है.
2 – स्पोर्ट्स रेडियो शो होस्ट
स्पोर्ट्स रेडियो होस्ट का किरदार एंकर या अनाउंचर से अलग होता है. इस रोल में होस्ट को हर खेल के बारे में कम से कम सामान्य स्तर का ज्ञान या जानकारी होनी चाहिए ताकि वो किसी भी खिलाड़ी से वार्ता कर सकते है. वहीं अगर आप अच्छे से होस्ट करते है तो आपका खुद का शो भी शुरू करने का मौक़ा मिल सकता है जिसमें खिलाड़ियों और कोचों से इंटरव्यू लेने का मौका मिलता है.
शिक्षा
यह एक काफी कॉम्पिटिटिव क्षेत्र होता है और इसमें बहुत से लोग प्रयास करते है. इसमें अगर शिक्षा की बात करें तो पत्रकारिता की डिग्री तो कम से कम होनी ही चाहिए और साथ ही लगभग हर खेल की अच्छी खासी सामान्य जानकारी भी होनी जरूरी है. साथ ही आपकी आवाज भी अच्छी होनी चाहिए क्योंकि इसमें आपको बातचीत ही करनी पड़ती है.
3 – स्पोर्ट्स राइटर
स्पोर्ट्स राइटर या खेल लेखक का काम होता है खेल से जुड़ी ख़बरें या आर्टिकल, ब्लॉग इत्यादि लिखना. कुल मिलाकर यह पत्रकार ही होते है जो ऑनलाइन वेब मीडिया तथा अखबारों के लिए लिखते है. आज इस क्षेत्र में भी बहुत सारे विकल्प मौजूद है और अच्छी खासी सैलरी भी मिलती है.
शिक्षा
वहीं अगर हम इस फील्ड में जाने के लिए शिक्षा की बात करें तो कम से कम पत्रकारिता या किसी क्षेत्र से डिग्री की हुई होनी चाहिए. साथ ही आपको खेल की अच्छी जानकारी का होना भी बहुत जरुरी होता है.
स्पोर्ट्स मेडीसन में करियर
स्पोर्ट्स मेडीसन एक ओर्थोपेडिक है जो कि किसी खिलाड़ी विशेष को चोट लगने पर उनका ध्यान रखती है और अभ्यास करवाती है. मेडिकल डॉक्टर (MD) और ओस्टेपेथिक फिजिशियन (DO) ऐसे दो प्रोफाइल है जो इस रोल के लिए एकदम फिट है. इसके अलावा इसमें वो भी होते है जो खिलाड़ियों को फिट रहने तथा तंदुरस्त रहने का पूरा ज्ञान देते है.
1 – डॉक्टर ऑफ़ ओस्टेपेथिक
डॉक्टर ऑफ़ ओस्टेपेथिक मेडीसन (DOs) या ओस्टेपेथिक फिजिसियन, एथलेटिक को लगी चोट पर ध्यान रखना और उनका इलाज करना. मेडिकल डॉक्टर की तरह DOs को 4 साल का मेडिकल स्कूल करना होता है.
शिक्षा
DO बनने के लिए इन डिग्रीयों का होना जरूरी है बैचलर, डॉक्टर ऑफ़ ओस्टेपेथिक मेडीसन, रेजीडेंसी, फेलोशिप, लाइंस्योर, खेल विभाग के मेडिकल में बोर्ड का सर्टिफिकेट.
2 – मेडिकल डॉक्टर
मेडिकल डॉक्टर खेल विभाग में अच्छी तरह से अर्थात मेडिकल में विशेष जानकारी वाले होते है. एमडी एथलेटिक इंजरी जैसे कि स्ट्रेन, स्प्रेन और फ्रैक्चर का ध्यान रखते है. इसमें एमडी को musculoskeletal system में अच्छी ट्रेनिंग लेनी जरुरी होती है. इसके अलावा ये डॉक्टर, स्थायी स्थिति का भी ध्यान रखते है और रोगी को समय-समय पर सलाह देते है.
शिक्षा
इसके लिए आपके पास कुछ ऐसी डिग्रियां होनी चाहिए – बैचलर (4 साल), डॉक्टर ऑफ़ मेडीसन (4 साल), रेजीडेंसी (3 साल), फेलोशिप (2 साल).
एथलेटिक्स ट्रेनर
एथलेटिक ट्रेनर्स वो हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स होते हैं जो कि स्पोर्ट्स मेडीसन टीम के साथ मिलकर मेडिकल की सुविधा प्रदान करते हैं. इसके लिए बैचलर की डिग्री के बाद कम से कम दो साल का क्लीनिकल एक्सपीरियंस लेना बहुत जरूरी है और आप सर्टिफिकेशन के लिए Board of Certification (BOC) में अप्लाई कर सकते हैं. एथलेटिक ट्रेनर्स द्वारा प्रदान की जाने वाली कुछ सेवायें हैं – प्रेवेंटेटीव सर्विस, एमरजेंसी सर्विस, क्लिनिकल डायनोसिस और पुनर्वास. ज्यादातर बैचलर की डिग्री ही मानी जाती है.
खेल उद्योग में करियर के लिए कहाँ अप्लाई करें
पिछले कुछ सालों में भारत में खेल में करियर बनाने वालों में काफी क्रेज है और इसका कारण है लोगों का खेल से प्यार और साथ ही नाम और सौहरत. आज खिलाड़ी सबसे अमीर लोगों में गिने जाते है और साथ ही उन्हें हर कोई प्यार देता है. इस कारण हर कोई खेल में अपना करियर बनाना चाहता है. आप नीचे दी गयी लिंक पर जाकर अप्लाई कर सकते है.
इनके अलावा आप किसी भी सामान्य नौकरी दिलाने वाले प्लेटफार्म पर जाकर अप्लाई कर सकते है और उसके लिए भी हमने कुछ नीचे लिंक दिए है –
तो खेल विभाग में बहुत सारे मौके है नौकरी करने के जिसमें अच्छी खासी इनकम भी है. तो शायद आपने इस आर्टिकल से बहुत कुछ सीखा है और अगर कुछ समझ में नहीं आया हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं.
सर मेरी पहले खेल रुची नहीं थी लेकिन सर मैं क्रिकेटर बनाना चाहता हूँ मैं पदाई Ba1year चल रही है लेकिन सर मुझे क्रिकेट खेलना भी नही आता क्या सर मैं कोई एकेडमी में तैयारी कर के खेल सकता हूँ
ना ही मेंने अभी तक भी किसी खेल भाग लिया है
सर मुजेबी खेल मे जाना है ,मुझे खेलमे बहुत सर है,sport hostel मे जाने केलीए Kya करू सर ,मेरा khel mahakumb 2018/19 बरोडा रुलर मे दुसरा नंबर आया stet leval तक गयाथा और vayam mandir बरोडा मे bronjmedl aaya,. Muje sport authority me Jana he me Kya karu sir
मैं 24 साल का हूं मेरा नाम अजय कुमार है मैं वालीबाल का प्लेयर बनना चाहता हूं वाराणसी का रहने वाला हूं मैं b.a. फर्स्ट ईयर का छात्र हूं मैं कहां से ट्रेनिंग लूं
आप खेल अकेडमी से ट्रेनिंग ले सकते है।