जैविक खेती या ऑर्गेनिक फार्मिंग कैसे करें इसकी पूरी जानकारी के लिए इस आर्टिकल को पढ़ें। जैविक खेती खेती का वो नया तरीका है जिससे आप कम ज़मीन से भी पारम्परिक खेती से 200 गुना अधिक तक मुनाफा कमा सकते है क्योंकि जैविक उत्पाद बाजार में महंगा बिकता है। जैविक खेती से फसल विविधता (क्रॉप डाइवर्सिटी) को बढ़ावा मिलता है।
इस आर्टिकल में हम आपको बताएँगे
ऑर्गेनिक फ़ार्मिंग शुरू करने की लागत
जैविक खेती के लिए सरकारी योजना
ऑर्गेनिक मार्केट की जानकारी और प्रॉफ़िट
ओर्गेनिक खेती की जानकारी के लिए अच्छी वेबसाइटें
जैविक खेती क्या होती है?
हरित क्रांति (ग्रीन रेवोलुशन) के बाद पैदावार तो बढ़ी पर छोटे किसान का मुनाफा कम हो गया क्योंकि रासायनिक खाद के दाम हर साल महंगे होते गए और भूमि की पैदावार कम होती गयी।
जैविक खेती में रसायनों का यूज नहीं होता है। किसान खेती के लिए ऑर्गेनिक खाद और जैविक इनसेक्टीसाइट का ही उपयोग करते है।
जैविक खेती में पशु पालन, मुर्गी पालन, डेरी फार्म भी शामिल है अगर किसान किसी भी रसायनों या हार्मोन्स का उपयोग नहीं करते है।
जैविक खेती की मांग बड़े शहरों में अधिक है और दाम भी अच्छा मिलता है। शहरी लोग कुछ साल से अपनी हेल्थ को लेकर बहुत ही अवेयर हो गए है और इसके चलते अपने खान-पान पर खास ध्यान भी दे रहे हैं। ऑर्गेनिक सब्जी और फ्रूट्स अब महानगरों की पहली पसंद बन रही हैं और किसान के लिए ये अपनी आमदनी को बढ़ाने का अच्छा विकल्प है।
जैविक खेती करने के कुछ फायदे
- जैविक कृषि उत्पादन में स्थिरता और किसान को अधिक मुनाफा होता है। पारम्परिक खेती कई कारकों पर निर्भर है लेकिन जैविक खेती मिट्टी को स्थिर करने का काम करती है और लम्बे समय में यह किसान की मदद करती है। भारत भर के बाजार में जैविक उत्पाद महंगा बिक जाता हैं और इसकी मांग बढ़ रही है।
- मिट्टी के जैविक गुण और उपजाऊपन को बढ़ाया जा सकता है। किसान जैविक खाद और जैविक इंसेक्टिसाइट का उपयोग करके एक बेहतर फसल कर सकता है। इससे किसान की जेब में ज्यादा पैसा भी आएगा।
- वातावरण को बचाना और हवा और पानी के प्रदुषण को कम करना। केमिकल खाद और कीटनाशकों के साथ ग्राउंड वाटर का प्रदूषण एक बड़ी समस्या है। जैविक खाद और जैविक कीटनाशकों के इस्तेमाल से ग्राउंड वाटर के प्रदुषण का खतरा को बहुत कम कर सकते है।
- केमिकल कीटनाशक स्वास्थ्य के लिए ख़राब होते है। इनका उपयोग लम्बे समय तक करने से कई प्रकार के कैंसर और बीमारिया हो सकती है।
- ऑर्गेनिक फ़ार्मिंग से इंसान को कोई नुकसान नहीं होता और ये खेत में सूक्ष्म जीव और वनस्पतियों को प्रोत्साहित करते हैं, मिट्टी की संरचना और संरचना में सुधार करते हैं।
- कृषि लागत काम होती है क्योंकि महंगी खाद और इन्सेक्टिसाइट खरीदने की जरुरत नहीं होती है। जैविक खेती में पारम्परिक खेती से अधिक श्रम लगता है। जैविक खाद और कीटनाशक किसान खुद ही अपने खेत पर बना सकते है। किसान को फसल की देखभाल में भी अधिक काम करना होता है।
- पैदावार पारम्परिक खेती से जैविक खेती में कम होती है, मगर कमाई ज्यादा होती है क्योंकि पैदावार का दाम अधिक मिलता है।
- किसान जैविक खाद बना कर अपने आस पास के किसानों को भी बेच सकते है। ये भी एक नया बिज़नेस हो सकता है जिससे किसान पैसा कमा सकते हैं।
जैविक खेती कैसे करें
सबसे पहले किसान को मिट्टी की जांच करवानी चाहिए। मिट्टी की जांच किसी भी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की प्रयोगशाला में या प्राइवेट लैब में हो जाती है। ये जांच किसान को मिट्टी की हेल्थ की सही जानकारी देता है जिससे किसान सही खाद और कीटनाशकों की मदद से उत्तम पैदावार से अधिक से अधिक मुनाफा कमा सकते है।
दूसरा काम जैविक खाद बनाना हैं। जैविक फर्टिलाइजर का मतलब होता है कि वो खाद जो कार्बनिक प्रोडक्ट्स (फसल के अवशेष पशु मल-मूत्र आदि) जो कि डिस्पोज होने पर कार्बनिक पदार्थ बनाना हैं और वेस्ट डिस्पोजर की मदद से 90 से 180 दिन में बन जाती है। जैविक खाद अनेक प्रकार की होती है जैसे गोबर की खाद, हरी खाद, गोबर गैस खाद आदि।
गोबर की सबसे अच्छी खाद बनाने के लिए किसान 1 मीटर चौड़ी, 1 मीटर गहरा, 5 से 10 मीटर लम्बाई का गड्ढा खोदकर उसमें प्लास्टिक शीट फैलाकर उस में खेती अवशेष की एक लेयर पर गोबर और पशु मूत्र की एक पतली परत दर परत चढ़ा कर उस में अच्छी तरह पानी से नम कर गड्ढे को कवर कर के मिट्टी और गोबर से बंद करें। 2 महीने में 3 बार पलटी करने पर अच्छी जैविक खाद बन कर तैयार हो जाएगी।
गोबर की खाद बनाने के लिए आपको जरूरत होगी:-
- गोबर
- नीम पत्ता
- खेती अवशेष
- वेस्ट डिस्पोजर
वर्मीकम्पोस्ट केंचुआ की खाद केंचुआ की मदद से बनती है।
केंचुआ जैसे ऐसीनिया फोटिडा, पायरोनोक्सी एक्सक्वटा, एडिल्स 45 से 60 दिन में खाद बनाते हैं। केंचुआ खाद बनाने के लिए छायादार व नम वातावरण की आवश्यकता होती है। इसलिए घने छायादार पेड़ के नीचे या छप्पर के नीचे केंचुआ खाद बनानी चाहिए। जगह के चुनाव के समय उचित जल निकास व जल के स्रोत का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
एक लम्बा गड्ढा खोदकर उस में प्लास्टिक शीट फैला कर जरुरत के अनुसार गोबर, खेत की मिट्टी, नीम पत्ता और केंचुआ मिला हर रोज़ पानी का छिड़काव करें। 1 किलो केंचुआ 1 घंटे में 1 किलो वर्मीकम्पोस्ट बना देता हैं। वर्मीकम्पोस्ट मैं एंटीबायोटिक होता हैं और इसका उसी से फसल को कम बीमारी होती हैं।
वर्मीकम्पोस्ट बनाने के लिए आपको जरुरत होगी।
- केंचुआ 2 से 5 किलो
- प्लास्टिक की शीट (जरुरत अनुसार)
- गोबर (जरुरत अनुसार)
- नीम पत्ता (जरुरत अनुसार
हरी खाद: हरी खाद लोबिया, मुंग, उड़द, ढेचा, सनी व गवार की फसल से बनती है। हरी खाद से अधिकतम कार्बनिक एलिमेंट्स और एण्ड्रोजन प्राप्त करने के किये इन फसल को 30-50 दिन में ही खेत में दबा दें क्योंकि इस पीरियड में पौधे सॉफ्ट होते हैं और जल्दी डिस्पोज हो जाते हैं। हरी खाद नाइट्रोजन और कार्बनिक एलिमेंट्स की आपूर्ति के साथ साथ खेत को अनेक पोषक एलिमेंट्स भी देती हैं। हरी खाद में नाइट्रोजन, गंधक, सल्फर, पोटाश, मैग्नीशियम, कैल्शियम, कॉपर, आयरन और जस्ता इत्यादि होता है जो मिट्टी को फर्टाइल बनती है।
केंचुआ खाद और गोबर की खाद में अंतर
Tatv (Elements) | Kenchua Khad | Gobar Khad |
Nitrogen (%) | 1.00 – 1.60 | 0.40 – 0.75 |
Phosphorus (%) | 0.50 – 5.04 | 0.17 – 0.30 |
Potash (%) | 0.80 – 1.50 | 0.20 – 0.55 |
Calcium (%) | 0.44 | 0.91 |
Magnesium (%) | 0.15 | 0.19 |
Iron(ppm) | 175.20 | 146.50 |
Manganese(ppm) | 96.51 | 69.00 |
Zine (ppm) | 24.43 | 14.50 |
Copper (ppm) | 4.89 | 2.80 |
Carbon nitrogen | 15.50 | 31.28 |
Khad banne ka time | 3 mahine | 12 mahine |
Source: https://dainikjagrati.com/
जैविक कीटनाशक कैसे बनाएं
ऑर्गेनिक कीटनाशक को बनाना बहुत आसान है। इसके लिए किसान को ये सब चीजें चाहिए होंगी: –
- एक मिट्टी का मटका
- 1 किलो नीम के पत्ते
- 1 किलो करंजा के पत्ते
- 1 किलो मदार के पत्ते
- 250 ग्राम गुड़
- 1 किलो गोबर
- 250 ग्राम बेसन
- 8 लीटर गौमूत्र
जैविक पेस्टीसाइड बनाने के लिए सब से पहले 3 प्रकार के पत्ते को छोटा-छोटा काट लें। सिर्फ मिट्टी के मटके में गोमूत्र दाल दें। इसके बाद गोबर, बेसन, गुड़, दीमक की मिट्टी को मिलाकर घोल बना लें। इसके बाद मटका के घोल में तीनों पत्तियों को मिलाकर मटके को ढक्कन लगा कर कपड़े से बांधकर रख दें जिससे गैस बाहर न निकले। इस मटके को बांधकर 7 दिन के लिए छाया में रख दें।
7 दिन के बाद घोल को एक कपड़े से छानकर बोतल में भर लें और फिर मटके में 7-8 लीटर गौमूत्र डालकर बांध दें। इस प्रकार 7 दिन के बाद दवा बन जाएगी और यह प्रक्रिया 6 महा तक चल सकती है। एक लीटर दवा में पहली निराई के समय 80 लीटर पानी मिला कर उपयोग करें।
दूसरी निराई 1 लीटर दवा और 60 लीटर पानी मिला करें।
तीसरी निराई के समय 1 लीटर दवा और 40 लीटर पानी मिलाकर उपयोग करें।
तम्बाकू भी पेस्टीसिड्स बनाने में उसे होता हैं। आप 250 ग्राम तम्बाकू को 1 लीटर पानी में बॉईल कर के छान लें। इसको आप 15 लीटर पानी में मिक्स कर पौधों पर स्प्रे कर सकते है।
खरपतवार नियंत्रण:- किसान फसल चक्र गर्मी में गहरी जुताई, निराई, गुड़ाई से खरपतवार नियंत्रण कर सकते है। किसान नीम, करंज, मिर्च, लहसुन का भी उपयोग कर सकते है।
जैविक खेती शुरू करने की लागत
अगर आप एक अनुभवी किसान है तो आर्गेनिक फ़ार्मिंग शुरु करने की लागत बहुत ही कम होगी। अधिकतर सामान किसान को अपने घर और खेत में ही मिल जायेगा।
मटेरियल | क्वालिटी | शुरुआती लागत |
खेत | 1-5 acres | Jagah aur situation par depend karta hai |
बीज | Jarurat ke anusaar | vaastavik ke anusaar |
गोबर | Jarurat ke anusaar | Rs. 3000/- ek trolly |
तंबाकू | Jarurat ke anusaar | Rs. 150/- per Kg |
केंचुआ | 2kg-5kg | Rs. 125/- per kg |
लेबर, टूल इत्यादि | Jarurat ke anusaar | Rs. 15000- Rs. 20000 |
वेस्ट डिस्पोजर | 1 bottle | Rs.20/- |
- फ्रेशर को इस के अलावा एग्रीकल्चर टूल्स जैसे ट्रैक्टर, बूस्टर पम्प इत्यादि की जरूरत पड़ेगी।
जैविक खेती के लिए सरकारी योजना
भारत सरकार ऑर्गेनिक खेती के लिए किसानों को बहुत मदद करती है। मिनिस्ट्री ऑफ़ एग्रीकल्चर समय-समय पर ट्रेनिंग प्रोग्राम और फाइनेंसियल हेल्प भी करती है। अधिक जानकारी के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें
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ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन
“इंडिया ऑर्गेनिक” भारत में जैविक उत्पादों के लिए ये एक सर्टिफिकेशन योजना है जो यह प्रमाणित करता है कि जैविक उत्पादों आपदा स्टैंडर्ड्स के अनुरूप है। ये सर्टिफिकेट उनको ही मिलता है जो कि खेती में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों या किसी भी हार्मोन्स के उपयोग के बिना जैविक खेती के माध्यम से फसल उगाते है।
ये सर्टिफिकेट एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फ़ूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा मान्यता प्राप्त सेंटर द्वारा फसल की जांच के बाद ही जारी किया जाता है। ये सर्टिफिकेट किसान की काफी हेल्प करता है जिससे बाजार में किसान अपनी फसल को अच्छे से अच्छे दाम पर बेच सकते है। अधिक जानकारी के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें।
ऑर्गेनिक प्रॉडक्ट के सर्टिफिकेट के लिए यहाँ क्लिक करें
ऑर्गेनिक मार्केट की जानकारी एंड प्रोफिट
ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स का मार्केट दिन प्रति दिन एक्सपैंड हो रहा हैं क्योंकि लोग अब ऑर्गेनिक प्रोडक्ट का उपयोग पहले से अधिक कर रहे हैं। जैविक खाने से इंसान अधिक स्वास्थ्य रहते है इसलिए ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स का किसान को बहुत अच्छा दाम भी मिलता है। बड़ी कम्पनी जैसे आर्गेनिक ग्रोफर्स, बिग बाजार अब किसान से लॉन्ग टर्म कॉन्ट्रैक्ट कर जैविक प्रोडक्ट खेत से ही उठा रहा हैं। किसान लोकल मंडी में भी अपना आर्गेनिक प्रोडक्ट बेच सकते हैं।
दिल्ली में आर्गेनिक सब्जी और फ्रूट्स डबल से भी अधिक प्राइस पर बिकता हैं।
प्रॉडक्ट 1 किलो | नॉन ऑर्गेनिक | जैविक |
टमाटर | 28/- | 120/- |
आलू | 18/- | 49/- |
बैंगन | 53/- | 95/- |
प्याज | 36/- | 89/- |
केला | 57/- | 110/- |
भिंडी | 24.50/- | 85/- |
सेब | 185.25/- | 250/- |
पपीता | 85.50/- | 150/- |
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ओर्गेनिक खेती की और जानकारी के लिए कुछ महत्वपूर्ण साइटें
ऑर्गेनिक खेती से जुड़े कुछ सवाल
प्र: 1) जैविक खेती में कितना इन्वेस्टमेंट लगता है?
उत्तर: ऑर्गेनिक खेती न्यूनतम लागत में शुरू की जा सकती हैं क्योंकि इसमें उपयोग होने वाला अधिकतर सामान किसान के पास घर पर ही मिल जाता हैं।
प्र. 2) किसान केंचुआ कहाँ खरीद सकता है?
उत्तर: किसान केंचुआ ऑनलाइन ले सकते हैं या फिर अपने पास की नर्सरी से भी खरीद सकते हैं।
प्र. 3) ऑर्गेनिक सर्टिफिकेट मिलने में कितना समय लगता है?
उत्तर: ऑर्गेनिक सर्टिफिकेट के लिए आमतौर पर 3 महीने लगते हैं। आप अपनी जैविक फसल की कटाई से कम से कम 90 दिन पहले ये प्रक्रिया शुरू करें।